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राठौड़ वंश की उत्पत्ति , शाखाएं

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राठौड़ राजपूतो की उत्तपति सूर्यवंशी राजा के राठ(रीढ़) से उत्तपन बालक से हुई है इस लिए ये राठौड़ कहलाये, राठोरो की वंशावली मे उनकी राजधानी कर्नाट और कन्नोज बतलाई गयी है! राठोड सेतराग जी के पुत्र राव सीहा जी थे! मारवाड़ के राठोड़ उन ही के वंशज है! राव सीहा जी ने करीब 700 वर्ष पूर्व द्वारिका यात्रा के दोरानमारवाड़ मे आये और राठौड़ वंश की नीव रखी! राव सीहा जी राठोरो के आदि पुरुष थे। # अर्वाचीन_राठोड_शाखाएँ__ खेडेचा, महेचा , बाडमेरा , जोधा , मंडला , धांधल , बदावत , बणीरोत , चांदावत , दुदावत , मेड़तिया , चापावत , उदावत , कुम्पावत , जेतावत , करमसोत बड़ा ,करमसोत छोटा , हल सुन्डिया , पत्तावत , भादावत , पोथल , सांडावत , बाढेल , कोटेचा , जैतमालोत , खोखर , वानर , वासेचा , सुडावत , गोगादे , पुनावत ,सतावत , चाचकिया , परावत , चुंडावत , देवराज , रायपालोत , भारमलोत , बाला , कल्लावत , पोकरना . गायनेचा , शोभायत , करनोत , पपलिया , कोटडिया ,डोडिया , गहरवार , बुंदेला , रकेवार , बढ़वाल , हतुंधिया , कन्नोजिया , सींथल , ऊहड़ , धुहडिया , दनेश्वरा , बीकावत , भादावत , बिदावत आदि…… # राठोड__वंश वंश –सुर्यवंशी कश्य

नड्डूलराय राव लक्ष्मण चौहान

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सांभर के चौहान वाक्पतिराज (प्रथम ) के बड़े पुत्र सिंहराज पिता के उतराधिकारी हुए और छोटे पुत्र लाखन (लक्ष्मण ) ने नाडोल (जिला पाली )पर अधिकार कर अलग राज्य की स्थापना की | नाडोल शहर (जिला पाली,राजस्थान) का नगर रक्षक लक्ष्मण हमेशा की तरह उस रात भी अपनी नियमित गश्त पर था। नगर की परिक्रमा करते करते लक्ष्मण प्यास बुझाने हेतु नगर के बाहर समीप ही बहने वाली भारमली नदी के तट पर जा पहुंचा। पानी पीने के बाद नदी किनारे बसी चरवाहों की बस्ती पर जैसे लक्ष्मण ने अपनी सतर्क नजर डाली, तब एक झोंपड़ी पर हीरों के चमकते प्रकाश ने आकर्षित किया। वह तुरंत झोंपड़ी के पास पहुंचा और वहां रह रहे चरवाहे को बुला प्रकाशित हीरों का राज पूछा। चरवाह भी प्रकाश देख अचंभित हुआ और झोंपड़ी पर रखा वस्त्र उतारा। वस्त्र में हीरे चिपके देख चरवाह के आश्चर्य की सीमा नहीं रही, उसे समझ ही नहीं आया कि जिस वस्त्र को उसने झोपड़ी पर डाला था, उस पर तो जौ के दाने चिपके थे। लक्ष्मण द्वारा पूछने पर चरवाहे ने बताया कि वह पहाड़ी की कन्दरा में रहने वाली एक वृद्ध महिला की गाय चराता है। आज उस महिला ने गाय चराने की मजदूरी के रूप में उसे कुछ जौ दिए थे।