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जय राणा प्रताप करीब 200 साल पहले क्षत्रियोँ के पास देश की 84% जमीन हुआ करती थी । आजादी के बाद यह प्रतिशत घटकर 52 % हुआ । सन् 2000 मेँ 31% और सन् 2013 मे 16% । आने वाले 10 साल मेँ परिस्थितियाँ क्या होँगी, यह शायद आप मुझसे भी बेहतर समझ पायेँ । #कारण...... 1- बेटी की शादी है- #जमीन_बेच_दो । 2- घर बनवाना है- #जमीन_बेच_दो । 3- नशा करना है- जमीन बेच दो । 4-लडाई झगडे का केश लडना है- जमीन बेच दो । 5-चाहे कुछ भी हो- जमीन बेच दो । अरे भाई जमीन कोई सामान नहीँ "अचल सम्पत्ति है , हमारी शान है, हमारी मूल, हमारी पहचान है । अगर जमीन को "माँ" की सँज्ञा दी जाये तो अतिशयोक्ति नहीँ होगी और जो अपनी जरुरतेँ पूरी करने के लिये माँ का सौदा करे वो काहे का क्षत्रिय । *भाइयो* शब्द कडवे जरुर हैँ पर सच हैँ । शपथ लेते हैँ कि कुछ भी करेँगे चाहे वो मजदूरी ही क्योँ न हो पर जमीन नहीँ बेचेँगे । हम क्षत्रिय हैँ क्षत्रिय। जो जिसका सारे संसार ने लोहा माना है खुद मिट जायेँगे पर अपना वजूद नहीँ बिकने देँगे ।!! जय राजपुताना।।।


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