उदय सिंह मेवाड़ साम्राज्य के ५३वें शासक थे उदयसिंह मेवाड़ के शासक राणा सांगा (संग्राम सिंह) के चौथे पुत्र थे , इनकी माता का नाम बूंदी की रानी, रानी कर्णावती था। ,अपने पिता महाराणा सांगा के निधन के बाद रतन सिंह द्वितीय को नया शासक नियुक्त किया गया रत्न सिंह ने १५३१ में शासन किया था। राणा विक्रमादित्य सिंह के शासनकाल के दौरान तुर्की के सुल्तान गुजरात के बहादुर शाह ने चित्तौड़गढ़ पर १५३४ में हमला कर दिया था इस कारण उदयसिंह को बूंदी भेज दिया था ताकि उदयसिंह सुरक्षित रह सके। १५३७ में बनवीर ने विक्रमादित्य का गला घोंटकर हत्या कर दी थी और उसके बाद उन्होंने उदयसिंह को भी मारने का प्रयास किया लेकिन उदयसिंह की धाय पन्ना धाय ने उदयसिंह को बचाने के लिए अपने पुत्र चन्दन का बलिदान दे दिया था इस कारण उदयसिंह ज़िंदा रह सके थे ,पन्ना धाय ने यह जानकारी किसी को नहीं दी थी कि बनवीर ने जिसको मारा है वो उदयसिंह नहीं बल्कि उनका पुत्र चन्दन था। इसके बाद पन्ना धाय बूंदी में रहने लगी। लेकिन उदयसिंह को आने जाने और मिलने की अनुमति नहीं दी।और उदयसिंह को खुफिया तरीके से कुम्भलगढ़ में २ सालों तक रहना पड़ा
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